शिक्षक प्रबीर कुमार सिंह के कलम से…
आज शिक्षा के क्षेत्र में विकास को लेकर गहन विमर्श की आवश्यकता है ।राजमहल विधान सभा का 01 प्रवेश द्वार है।यंहा शिक्षा जगत में कई सारे सुधार तो दिख रहे हैं,परन्तु शिक्षकों की कमी शिक्षा जगत का सुधार में भी कई दाग लगा रहा है।जैसे राजमहल मॉडल कॉलेज का होना ,आईटीआई कॉलेज का इस वर्ष से संचालन शुरू होना, कई विद्यालयों का प्लस टू में बदल दिया जाना ,ये सब शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास धीरे-धीरे जारी हैं ।शिक्षा के क्षेत्र में विकास को लेकर सरकारी प्रयास भी हो रही हैं। परंतु जब हम चर्चा करते हैं कि इन सबसे, क्या विद्यार्थियों का कल्याण हो रहा है ? भूतकाल में क्या था वर्तमान में क्या है अथवा भविष्य में इनका क्या होगा? तब हमें कई बिंदुओं पर सोचना पड़ता है। मॉडल कॉलेज जैसा हाइटेक कॉलेज तो है परन्तु इनमें शिक्षकों की कमी है ।आईटीआई कॉलेज निर्माण के पश्चात काफी सालों तक यूं ही बंद पड़ा था।आलम ये है कि अब बिल्डिंग जर्जर सा हो गया है। लेकिन खुशी की बात है कि,इस वर्ष से यहां नामांकन प्रारंभ हो गया है। हमारे विद्यार्थी जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है,उन्हें अपने घर के बगल में ही आईटीआई करने का अवसर मिलेगा और वैसे छात्र जो साइंस से प्रतिष्ठा डिग्री प्राप्त करने के लिए भी घर से दूर जाते थे। उनके लिए भी महाविद्यालय खुल गया है। सरकारी प्रयास तो काफी सराहनीय हैं ।वर्तमान में अच्छे हाई स्कूल भी हैं ,परंतु एक समस्या जो सभी जगह इस पूरे क्षेत्र में दिखती है वह है शिक्षकों की कमी । शिक्षकों की कमी के कारण जो स्वप्न शिक्षा के क्षेत्र में देखा जा रहा है ,वह विद्यालय में या महाविद्यालय में भी पूर्ण नहीं हो सकता है । यद्यपि इस वर्ष माध्यमिक और उच्च माध्यमिक परीक्षा में साहिबगंज जिला का परिणाम बहुत प्रशंसा जनक रहा है ।इसमें शिक्षा विभाग एवं शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है । परंतु यदि उन्हें संसाधनों से युक्त कर दिया जाएगा, शिक्षकों की कमी को पूरा कर दिया जाएगा तो फिर इस क्षेत्र में एक क्रांतिक परिवर्तन आ सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है ।मैं मध्य विद्यालयों की और आपका ध्यान खींचना चाहूंगा। जितने भी मध्य विद्यालय हैं,आसपास आपने भी देखा होगा इन विद्यालय में सबसे ज्यादा शिक्षकों की कमी है। यूं तो इन विद्यालयों में प्रथम से अष्टम वर्ग की पढ़ाई होती है ।परन्तु इन विद्यालयों में प्राय एक , दो या तीन शिक्षक हैं। क्या इन शिक्षकों के अथक प्रयास करने के बाद भी वहां पढ़ रहे विद्यार्थियों को उचित शिक्षा दी जा सकती है?जो बहुत बड़ा सवाल है। हम इन मध्य विद्यालयों को ऐसे नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यही विद्यार्थियों के शिक्षा की नीव पड़ती है। अगर यही शिक्षा व्यवस्था यू कमजोर पड़ गई तो, हम शिक्षा में सुधार की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यूं तो सरकार ने शिक्षा में सुधार हेतु कई विद्यालयों में कंप्यूटर की व्यवस्था भी दी है ।जिसके माध्यम से विद्यालयों में आईटी शिक्षा दी जा रही है ।लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण इन प्रयासों को गति नहीं मिल पा रही है। हमारे क्षेत्र में प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी कोई संस्थान नहीं है ।ऐसे तो जिला स्तर पर कई घोषणाएं हुई है और अगर यह धरातल पर उतरती हैं तो फिर राजमहल क्षेत्र के छात्रों के लिए बड़ा हितकारी होने से इंकार नही किया जा सकता है। खास करके पिछड़े और गरीब छात्रों के लिए सरकार उनके हित के लिए प्रयासरत है, कई योजनाएं बनाई जा रही है। योजना चाहे केंद्र सरकार की हो या राज्य सरकार की,जरूरत है इनके धरातल पर उतरने की ।केवल सरकार ही नहीं जनता और अभिभावकों को भी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। तभी शिक्षा के जगत में सभी का कल्याण संभव है। शिक्षकों की कमी सहित अन्य कई कमियां है ,इन्हें दूर करने की आवश्यकता है। पहले की तुलना में सरकार की प्रयास भी तीव्र है और लोगों में जागरूकता भी फैली है ।पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। अंत में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करना भी जरूरी समझता हूँ।जिसमे विद्यालय संसाधनों से युक्त हो,विद्यालय में अच्छे और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो, व्यावसायिक शिक्षा पर जोर हो, राजमहल क्षेत्र में सामूहिक पुस्तकालय का निर्माण हो, जहां गरीब छात्र इसका लाभ उठा सके और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी कर सकें। जहां छात्रों को ऑनलाइन करियर काउंसलिंग की जानकारियां एवं जॉब ओरिएंटेड सूचनाओं का भी लाभ मिल सके।
प्रबीर कुमार सिंह
शिक्षक काज़ीगांव,साहिबगंज।