मॉडल कॉलेज राजमहल में तुलसी जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित हुआ विशेष व्याख्यान
तुलसीदास और प्रेमचंद की साहित्यिक साधना पर हुई गहन चर्चा
राजमहल(झारखंड ): मॉडल कॉलेज के सभागार में बुधवार को तुलसी जयंती की पूर्व संध्या पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया ।जिसमें महान संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास की समन्वय साधना विषय पर विस्तार से चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित विद्वान, विश्वभारती शांतिनिकेतन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्र रॉय मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
जनमानस को जोड़ने वाली रचनाएं की प्रस्तुत
अपने प्रभावशाली वक्तव्य में प्रो. रॉय ने तुलसीदास के जीवन और साहित्यिक योगदान की बहुआयामी विवेचना की । उन्होंने बताया कि तुलसीदास न केवल भक्तिकाल के महान कवि थे, बल्कि एक संत कवि थे।जिन्होंने समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का कार्य किया। उनके अनुसार, तुलसीदास की भाषा में अद्वितीय समन्वय था ।चाहे वह लोक भाषा हो, संस्कृतनिष्ठ शब्द हों या भावनात्मक गहराई। उन्होंने भाषा की मर्यादा का सदैव ध्यान रखा और जनमानस को जोड़ने वाली रचनाएं प्रस्तुत कीं ।

जयंती की पूर्व संध्या पर श्रद्धांजलि अर्पित
प्रो. रॉय ने इस अवसर पर मुंशी प्रेमचंद की जयंती की पूर्व संध्या पर भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी यथार्थवादी दृष्टि, सामाजिक सरोकारों और साहित्यिक प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने प्रेमचंद की रचनाओं को समाज के मर्म को उजागर करने वाला दस्तावेज़ बताया।अपने प्रेरक वक्तव्य के समापन पर प्रो. रॉय ने कहा की एकता से ही उन्नति संभव है और अनेकता में यदि समन्वय न हो, तो वह पतन का कारण बनती है।
साहित्यिक मूल्यों को आत्मसात करने का आग्रह
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता का मार्ग समय और कार्य के बीच उचित सामंजस्य स्थापित करने से ही निकलता है। उन्होंने तुलसीदास और प्रेमचंद जैसे साहित्यकारों से प्रेरणा लेने की बात कही और विद्यार्थियों से साहित्यिक मूल्यों को आत्मसात करने का आग्रह किया।

वृक्ष लगाकर दिया स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
इस विशेष व्याख्यान का संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. अमित कुमार ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. रमज़ान अली, डॉ. विवेक कुमार महतो, श्रीमती अंकिता सिंह सहित अन्य शिक्षकगण, कर्मचारी, अभिभावक तथा सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।इस अवसर ने न केवल छात्रों को साहित्य के गूढ़ पक्षों से अवगत कराया, बल्कि भारतीय संस्कृति में समन्वय की शक्ति को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम का समापन तालियों की गड़गड़ाहट और विद्वतजनों के प्रति आभार प्रकट करते हुए हुआ।कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि द्वारा बालम खीरा का वृक्ष लगाकर स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया । विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया और वृक्षारोपण करने की शपथ भी ली ।